उत्तराखंड में 40 हजार घरों पर लगेगा सोलर रूफटॉप, मिले 62 हजार से ज्‍यादा आवेदन PM Surya Ghar Yojana

20250603_061002_11zon-1.jpg


उत्तराखंड में सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार की पीएम सूर्यघर योजना को लोगों का भरपूर समर्थन मिल रहा है। इस योजना के तहत तीन वर्षों में 40,000 आवासीय भवनों की छतों पर सोलर रूफटॉप संयंत्र लगाने का लक्ष्य रखा गया है। अब तक मिली जानकारी के अनुसार, लक्ष्य की दिशा में राज्य ने तेज़ी से कदम बढ़ा दिए हैं।

अब तक 62 हजार से अधिक आवेदन

पीएम सूर्यघर योजना के प्रति लोगों में कितना उत्साह है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि अब तक 62,144 लोगों ने आवेदन जमा किए हैं। यह संख्या लक्ष्य से डेढ़ गुना अधिक है, जो योजना की लोकप्रियता को दर्शाता है। लोगों में बिजली की बचत और पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ रही है।

लग चुके हैं 29,621 सोलर संयंत्र

इन आवेदनों में से 29,621 घरों की छतों पर सोलर रूफटॉप संयंत्र स्थापित भी किए जा चुके हैं। यह संख्या दर्शाती है कि लोग इस योजना का लाभ उठाने में काफी आगे बढ़ रहे हैं। सौर संयंत्रों की स्थापना से न सिर्फ बिजली का खर्च कम हो रहा है, बल्कि हरित ऊर्जा को भी बढ़ावा मिल रहा है।

24,948 लोगों को मिल चुकी है केंद्र सरकार की सब्सिडी

इनमें से 24,948 लाभार्थियों को केंद्र सरकार से सब्सिडी मिल चुकी है। केंद्र सरकार 3 किलोवाट तक के सोलर संयंत्र पर 85,800 रुपये की सब्सिडी देती है। अब तक केंद्र द्वारा 138 करोड़ रुपये की सब्सिडी सीधे लाभार्थियों को ट्रांसफर की जा चुकी है, जिससे आम नागरिकों को आर्थिक राहत मिली है।

राज्य सरकार ने भी दी बड़ी राहत

हालांकि अब यह सुविधा बंद हो चुकी है, लेकिन एक अप्रैल 2024 तक राज्य सरकार भी इस योजना में योगदान दे रही थी। उत्तराखंड सरकार ने अब तक 10,579 लाभार्थियों को 53.8 करोड़ रुपये की सब्सिडी दी है। राज्य सरकार प्रति संयंत्र 51,000 रुपये तक की सहायता प्रदान कर रही थी। बाद में सब्सिडी पर बढ़ते वित्तीय भार को देखते हुए इसे बंद कर दिया गया।

40 मेगावाट से अधिक सौर ऊर्जा क्षमता

अब तक लगाए गए सभी संयंत्रों की कुल क्षमता 40 मेगावाट से अधिक हो चुकी है। यह एक बड़ी उपलब्धि है, जिससे यह साबित होता है कि उत्तराखंड हरित ऊर्जा की दिशा में गंभीरता से काम कर रहा है। इससे न केवल पर्यावरण की रक्षा होगी, बल्कि आने वाले समय में ऊर्जा संकट से निपटने में भी सहायता मिलेगी।

मैदानी जिलों में अधिक उत्साह, पहाड़ी जिलों में धीमी प्रगति

योजना को लेकर राज्य के मैदानी जिलों में अधिक उत्साह देखा गया है। देहरादून, हरिद्वार, ऊधमसिंह नगर जैसे जिलों में सबसे अधिक संयंत्र लगाए गए हैं। वहीं, पर्वतीय जिलों में लोगों की भागीदारी अपेक्षाकृत कम रही है। हालांकि मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना में पहाड़ी जिलों के लोगों की भागीदारी अधिक है।

क्यों है सौर ऊर्जा जरूरी?

सौर ऊर्जा को हरित और पर्यावरण के अनुकूल ऊर्जा माना जाता है। इससे न तो प्रदूषण होता है और न ही कोई संसाधन खर्च होता है। लंबे समय तक इससे सस्ती और टिकाऊ बिजली मिलती है। साथ ही, सरकार की योजनाओं के ज़रिए इससे आम लोग भी आर्थिक रूप से लाभ पा सकते हैं।

निष्कर्ष: उत्तराखंड में सौर ऊर्जा की दिशा में बड़ी पहल

पीएम सूर्यघर योजना ने उत्तराखंड में सौर ऊर्जा के क्षेत्र में एक नई क्रांति ला दी है। राज्य सरकार और केंद्र सरकार के संयुक्त प्रयासों से हजारों घरों में सोलर रूफटॉप संयंत्र लगाए जा चुके हैं। लोगों में योजना को लेकर जागरूकता बढ़ रही है और वे अब सौर ऊर्जा की ओर तेजी से अग्रसर हो रहे हैं। आने वाले समय में यह योजना राज्य को ऊर्जा आत्मनिर्भर बनाने में अहम भूमिका निभाएगी।

डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। कृपयाआधिकारिक वेबसाइट से ही नवीनतम और सटीक जानकारी प्राप्त करें।

Facebook
Twitter
LinkedIn
Pinterest

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top